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प्रकाशन प्रभाग (डीपीडी) राष्ट्रीय महत्व के विषयों और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालने वाली पुस्तकों और पत्रिकाओं का भंडार है। 1941 में स्थापित प्रकाशन विभाग भारत सरकार के एक प्रमुख प्रकाशन हाऊस के रूप में उभरा है। डीपीडी का योगदान एक ओर बाजार में प्रतिस्पर्धा करने वाला एक अद्वितीय प्रकाशन हाऊस होने और दूसरी ओर एक अग्रणी सरकारी संगठन के रूप में महत्वपूर्ण है। जब भारतीय प्रकाशन उद्योग नया था और मीडिया की पहुंच सीमित थी तो उन दिनों में प्रभाग ने क्लासिक रचनाओं को प्रकाशित करने में अग्रणी भूमिका निभाई। महात्मा गांधी के जीवन और विचारों संबंधी पुस्तकें प्रभाग के लिए गौरव का विषय हैं। प्रकाशन विभाग ने गांधीवादी विचारों पर कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं जिनमें अंग्रेजी में 100 खंडों में महात्मा गांधी की संग्रहित रचनाएँ (सीडब्ल्यूएमजी) और हिंदी में संपूर्ण गांधी वांग्मय शामिल हैं जिसे गांधी जी के लिखित शब्दों का सर्वाधिक व्यापक प्रमाणिक संग्रह माना जाता है।
प्रभाग को प्रकाशकों के बीच विश्वसनीयता प्राप्त है और यह प्रकाशनों की सामग्री की प्रामाणिकता और किफायती कीमत के लिए जाना जाता है। प्रकाशन प्रभाग ने गुजरात विद्यापीठ के सहयोग से और प्रमुख गांधीवादी विद्वानों की देखरेख में महात्मा गांधी के संग्रहित कार्यों (ई-सीडब्ल्यूएमजी) का ई-संस्करण भी तैयार किया है, जो डीवीडी के डिजाइन किए गए सेट के रूप में पूरी तरह से सर्चेबल मास्टर कॉपी है।
यह चिर-स्मरणीय कार्य महात्मा गांधी के लिखित शब्दों को स्थायी और टेम्पर प्रूफ इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में संरक्षित करके राष्ट्रीय विरासत में एक स्थायी योगदान है। ई-सीडब्ल्यूएमजी को गांधी हेरिटेज पोर्टल पर भी होस्ट किया गया है, जो प्रामाणिक गांधीवादी साहित्य का एक व्यापक भंडार है। अधिकाधिक गांधीवादी टाइटल प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी है। प्रकाशन प्रभाग अपनी सामग्री को और समृद्ध और विविधतापूर्ण बनाने तथा अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने का निरंतर प्रयास कर रहा है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, प्रकाशन विभाग प्रतिष्ठित संस्थानों, गांधीवादी संगठनों और पाठकों को समृद्ध बनाने के समान उद्देश्यों के लिए काम करने वाले प्रतिष्ठित प्रकाशकों के साथ साझेदारी व्यवस्था करने के लिए सावधानीपूर्वक प्रयास कर रहा है।
प्रकाशन प्रभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय में अपने सहयोगी संगठनों के साथ भी इसी तरह की व्यवस्था कर रहा है। इस तरह की साझेदारियों ने पहले ही परिणाम देना शुरू कर दिया है और प्रकाशन प्रभाग को गांधीवादी विचार, कला, संस्कृति, सिनेमा और राष्ट्रीय विरासत के अन्य पहलुओं के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण प्रकाशनों से समृद्ध किया जा रहा है।
पुस्तकों के अलावा प्रकाशन विभाग 18 मासिक पत्रिकाएँ भी प्रकाशित करता है, जिनमें अंग्रेज़ी, हिंदी और 11 अन्य भाषाओं में योजना, कुरुक्षेत्र (अंग्रेज़ी और हिंदी), बाल भारती (हिंदी) और आजकल (हिंदी और उर्दू) शामिल हैं। इन पत्रिकाओं के पाठकों की संख्या बहुत अधिक है और जनता के बीच इनकी काफ़ी विश्वसनीयता भी है। ये पत्रिकाएँ सरकार की पहलों और विभिन्न क्षेत्रों में देश की प्रगति को दर्शाती हैं, जिनमें आर्थिक विकास, ग्रामीण पुनर्निर्माण, सामुदायिक विकास, साहित्य, संस्कृति, बाल साहित्य और रोज़गार और कैरियर के अवसरों पर जानकारी जैसे कई विषय शामिल हैं।
योजना, 1957 से प्रकाशित होने वाली प्रभाग की प्रमुख पत्रिका है, जो समाज के सभी वर्गों तक नियोजित विकास का संदेश पहुँचाने का प्रयास करती है तथा विकास के सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर विभिन्न विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली स्वस्थ चर्चा को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती है। 1952 से अंग्रेजी और हिंदी में प्रकाशित होने वाली ‘कुरुक्षेत्र’, ग्रामीण विकास के मुद्दों को समर्पित एक अनूठी मासिक पत्रिका है। बाल भारती, हिंदी में लोकप्रिय बच्चों की मासिक पत्रिका है जो 1948 से नियमित रूप से प्रकाशित हो रही है। इसका उद्देश्य बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करना भी है। आजकल, जो 1945 से हिंदी में और 1942 से उर्दू में प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका है जो कई विशेषांक निकालती है तथा भारतीय संस्कृति और साहित्य के विभिन्न पहलुओं को शामिल करती है।
प्रकाशन प्रभाग के प्रमुख महानिदेशक (डीजी) हैं, जिनकी सहायता संपादकीय, व्यवसाय, उत्पादन, आईटी और प्रशासन प्रभाग तथा रोजगार समाचार का प्रमुख निदेशक स्तर के अधिकारी करते हैं। प्रकाशन प्रभाग का मुख्यालय सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में है और यह नई दिल्ली (मुख्यालय), दिल्ली (पुराना सचिवालय), मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, पटना, लखनऊ, हैदराबाद और तिरुवनंतपुरम में अपने विभिन्न बिक्री एम्पोरियमों और नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम और बेंगलुरु में योजना कार्यालयों के माध्यम से कार्य करता है।